Home Loan पर एक स्मार्ट डिसीजन करा देगा बड़ा फायदा, बहुत आराम से लाखों रुपए बचा लेंगे आप
Written By: सुचिता मिश्रा
Wed, Aug 28, 2024 01:53 PM IST
Home Loan लेने के बाद सबसे ज्यादा परेशान करता है इसका ब्याज. आप जितने लंबे टेन्योर का होम लोन (Home Loan Tenure) लेते हैं, उतना ज्यादा ब्याज बैंक को चुकाते हैं. कई बार इस चक्कर में आप बैंक को लोन की राशि का दोगुना और तीन गुना पैसा ब्याज के तौर पर दे देते हैं. ऐसे में आपके लाखों रुपए ब्याज देने में चले जाते हैं. लेकिन होम लोन रीपेमेंट (Home Loan Repayment) के दौरान एक स्मार्ट डिसीजन आपका बड़ा मुनाफा करवा सकता है और ब्याज के तौर पर जाने वाले लाखों रुपए की बचत कर सकता है. जानिए आपको क्या करना होगा?
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क्या है ये स्मार्ट डिसीजन?
Home Loan Repayment के दौरान ही आप अगर थोड़ा-थोड़ा प्रीपेमेंट करते जाएं तो आपको इसका बड़ा फायदा मिलेगा. प्रीपेमेंट आपके प्रिंसिपल अमाउंट को कम करता है और इससे आपकी EMI छोटी हो जाती है. साथ ही आपका लोन टेन्योर भी कम होता है और आपके लाखों रुपए की बचत होती है. बता दें कि आप जब स्वैच्छिक तौर पर अपनी EMI से ज्यादा रकम का भुगतान बैंक को करते हैं तो उसे प्री-पेमेंट कहा जाता है.
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दो तरह से कर सकते हैं प्रीपेमेंट
होम लोन प्रीपेमेंट आंशिक या पूर्ण रूप से किया जा सकता है. इसका सबसे अच्छा तरीका है कि जब भी आपके पास कहीं से इकट्ठे पैसे आएं तो आप उसे होम लोन के खाते में जमा करते रहें. इसके अलावा EMI से इतर हर महीने अपनी क्षमतानुसार 2, 3,4 या 5 हजार रुपए का आप रेगुलेर प्री-पेमेंट भी कर सकते हैं. ये दोनों ही प्रीपेमेंट के तरीके हैं. इनसे आपका होम लोन बहुत जल्दी खत्म होगा और आपको ब्याज भी कम देना होगा.
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प्रीपेमेंट के क्या हैं फायदे
लोन प्रीपेमेंट के जरिए जब आप अपने होम लोन का बोझ समय से पहले उतार लेते हैं और ब्याज के लाखों रुपए बचाते हैं. इससे आपका क्रेडिट स्कोर को भी बेहतर होता है क्योंकि लोन प्रीपेमेंट, लेंडर को इस बात का भरोसा दिलाता है कि आप लोन चुकाने में पूरी तरह से सक्षम हैं. ऐसे में भविष्य में अगर आपको कभी लोन लेने की जरूरत हो, तो आसानी से मिल जाता है.
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कब करें प्रीपेमेंट
वैसे तो आप होम लोन का प्रीपेमेंट कभी भी कर सकते हैं, लेकिन शुरुआती 5 वर्षों में प्रीपेमेंट करने का फायदा ज्यादा होता है क्योंकि उस समय आपका प्रिंसिपल अमाउंट ज्यादा होता है और उस पर ब्याज भी ज्यादा जा रहा होता है. ऐसे में अगर आप प्रीपेमेंट करते हैं तो प्रिंसिपल अमाउंट कम होता है और उसका असर आपके टेन्योर, ईएमआई और ब्याज पर पड़ता है.
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